सागारधर्म: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> गृहस्थ धर्म-पाँच अणुव्रत, तीन गुणव्रत और चार शिक्षाव्रत । इन बारह व्रतों का धारण करना तथा धन-संपदा में संतोष रखना, इंद्रिय विषयों में अनासक्त रहना, कषायों को कृश करना और ज्ञानियों की विनय करना सागार-धर्म है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 4.46, 6. 288-289 </span></span> | <span class="HindiText"> गृहस्थ धर्म-पाँच अणुव्रत, तीन गुणव्रत और चार शिक्षाव्रत । इन बारह व्रतों का धारण करना तथा धन-संपदा में संतोष रखना, इंद्रिय विषयों में अनासक्त रहना, कषायों को कृश करना और ज्ञानियों की विनय करना सागार-धर्म है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_4#46|पद्मपुराण - 4.46]], 6. 288-289 </span></span> | ||
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Latest revision as of 22:36, 17 November 2023
गृहस्थ धर्म-पाँच अणुव्रत, तीन गुणव्रत और चार शिक्षाव्रत । इन बारह व्रतों का धारण करना तथा धन-संपदा में संतोष रखना, इंद्रिय विषयों में अनासक्त रहना, कषायों को कृश करना और ज्ञानियों की विनय करना सागार-धर्म है । पद्मपुराण - 4.46, 6. 288-289