चिंतागति: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText">(म.पु./७०/श्लोक नं.) पुष्करार्ध द्वीप के पश्चिम मेरु के पास गन्धिल नाम के देश में विजयार्ध पर्वत की उत्तर श्रेणी में सूर्यप्रभ नगर के राजा सूर्यप्रभ का पुत्र था।३६-२८। अजितसेना नामा कन्या द्वारा गतियुद्ध में हरा दिया जाने पर।३०-३१। दीक्षा धारण कर ली और स्वर्ग में सामानिक देव हुआ।३६-३७। यह नेमिनाथ भगवान् का पूर्व का | <p class="HindiText">(म.पु./७०/श्लोक नं.) पुष्करार्ध द्वीप के पश्चिम मेरु के पास गन्धिल नाम के देश में विजयार्ध पर्वत की उत्तर श्रेणी में सूर्यप्रभ नगर के राजा सूर्यप्रभ का पुत्र था।३६-२८। अजितसेना नामा कन्या द्वारा गतियुद्ध में हरा दिया जाने पर।३०-३१। दीक्षा धारण कर ली और स्वर्ग में सामानिक देव हुआ।३६-३७। यह नेमिनाथ भगवान् का पूर्व का सातवाँ भव है।</p> | ||
[[चिंता | Previous Page]] | [[चिंता | Previous Page]] |
Revision as of 20:20, 28 February 2015
(म.पु./७०/श्लोक नं.) पुष्करार्ध द्वीप के पश्चिम मेरु के पास गन्धिल नाम के देश में विजयार्ध पर्वत की उत्तर श्रेणी में सूर्यप्रभ नगर के राजा सूर्यप्रभ का पुत्र था।३६-२८। अजितसेना नामा कन्या द्वारा गतियुद्ध में हरा दिया जाने पर।३०-३१। दीक्षा धारण कर ली और स्वर्ग में सामानिक देव हुआ।३६-३७। यह नेमिनाथ भगवान् का पूर्व का सातवाँ भव है।