चंद्रकीर्ति: Difference between revisions
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<li class="HindiText" name="1" id="1">नंदिसंघ के देशीयगण की गुर्वावली के अनुसार आप मल्लधारीदेव के शिष्य और दिवाकर नंदि के गुरु थे। समय–वि.1100-1130 (ई.1043-1073)–देखें [[ इतिहास#7.5 | इतिहास - 7.5]]। </li> | <li class="HindiText" name="1" id="1">नंदिसंघ के देशीयगण की गुर्वावली के अनुसार आप मल्लधारीदेव के शिष्य और दिवाकर नंदि के गुरु थे। समय–वि.1100-1130 (ई.1043-1073)–देखें [[ इतिहास#7.5 | इतिहास - 7.5]]। </li> | ||
<li class="HindiText" name="2" id="2"> वि.1654-1681 (ई.1597-1624) के एक भट्टारक थे जिन्होंने वृषभ देव पुराण, पद्मपुराण, पार्श्व पुराण और पार्श्व पूजा लिखे। | <li class="HindiText" name="2" id="2"> वि.1654-1681 (ई.1597-1624) के एक भट्टारक थे जिन्होंने वृषभ देव पुराण, पद्मपुराण, पार्श्व पुराण और पार्श्व पूजा लिखे। <span class="GRef">(तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/441)</span> </li> | ||
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Revision as of 22:20, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
- नंदिसंघ के देशीयगण की गुर्वावली के अनुसार आप मल्लधारीदेव के शिष्य और दिवाकर नंदि के गुरु थे। समय–वि.1100-1130 (ई.1043-1073)–देखें इतिहास - 7.5।
- वि.1654-1681 (ई.1597-1624) के एक भट्टारक थे जिन्होंने वृषभ देव पुराण, पद्मपुराण, पार्श्व पुराण और पार्श्व पूजा लिखे। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/441)
पुराणकोष से
(1) वज्रदंत चक्रवर्ती के पांचवें पूर्वभव का जीव । यह अर्धचक्री का पुत्र और जयकीर्ति का मित्र था । महापुराण 7.7-8
(2) चंपापुर का राजा । यह निःसंतान मरा था । महापुराण 70.84