सिंहचंद्र: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र में सिंहपुर नगर के राजा सिंहसेन और रानी रामदत्ता का पुत्र । यह पूर्वभव में प्रांत रामदत्ता के स्नेहवश निदान के कारण इंद्रत्व की उपेक्षा कर रामदत्ता का पुत्र हुआ था । इसका छोटा भाई पूर्णचंद्र था । राहुभद्र गुरु के समीप इसके दीक्षित हो जाने पर पूर्णचंद्र राज्यसिंहासन पर बैठा था । <span class="GRef"> महापुराण 59.146, 192, 202-203, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.20-24, 45-47, 58-59 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र में सिंहपुर नगर के राजा सिंहसेन और रानी रामदत्ता का पुत्र । यह पूर्वभव में प्रांत रामदत्ता के स्नेहवश निदान के कारण इंद्रत्व की उपेक्षा कर रामदत्ता का पुत्र हुआ था । इसका छोटा भाई पूर्णचंद्र था । राहुभद्र गुरु के समीप इसके दीक्षित हो जाने पर पूर्णचंद्र राज्यसिंहासन पर बैठा था । <span class="GRef"> महापुराण 59.146, 192, 202-203, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.20-24, 45-47, 58-59 </span></p> | ||
<p id="2">(2) आगामी पाँचवाँ बलभद्र । <span class="GRef"> महापुराण 76.486, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 568 </span></p> | <p id="2">(2) आगामी पाँचवाँ बलभद्र । <span class="GRef"> महापुराण 76.486, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 568 </span></p> | ||
<p id="3">(3) जंबूद्वीप में मृगांकनगर के राजा हरिचंद्र का पुत्र । यह मरकर आहारदान के प्रभाव से देव हुआ था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 17. 150-152 </span></p> | <p id="3">(3) जंबूद्वीप में मृगांकनगर के राजा हरिचंद्र का पुत्र । यह मरकर आहारदान के प्रभाव से देव हुआ था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_17#150|पद्मपुराण - 17.150-152]] </span></p> | ||
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Revision as of 22:36, 17 November 2023
(1) भरतक्षेत्र में सिंहपुर नगर के राजा सिंहसेन और रानी रामदत्ता का पुत्र । यह पूर्वभव में प्रांत रामदत्ता के स्नेहवश निदान के कारण इंद्रत्व की उपेक्षा कर रामदत्ता का पुत्र हुआ था । इसका छोटा भाई पूर्णचंद्र था । राहुभद्र गुरु के समीप इसके दीक्षित हो जाने पर पूर्णचंद्र राज्यसिंहासन पर बैठा था । महापुराण 59.146, 192, 202-203, हरिवंशपुराण 27.20-24, 45-47, 58-59
(2) आगामी पाँचवाँ बलभद्र । महापुराण 76.486, हरिवंशपुराण 60. 568
(3) जंबूद्वीप में मृगांकनगर के राजा हरिचंद्र का पुत्र । यह मरकर आहारदान के प्रभाव से देव हुआ था । पद्मपुराण - 17.150-152