रत्नकंठ: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="HindiText"> <p> अश्वग्रीव का ज्येष्ठ पुत्र और रत्नायुध का भाई । ये दोनों भाई मरकर चिरकाल तक भव-भ्रमण करने के पश्चात् अतिबल और महाबल असुर हुए थे । इसका अपरनाम रत्नग्रीव था । <span class="GRef"> (महापुराण 63. 135-136) </span> देखें [[ रत्नग्रीव ]]</span><br /> | <span class="HindiText"> <p> अश्वग्रीव का ज्येष्ठ पुत्र और रत्नायुध का भाई । ये दोनों भाई मरकर चिरकाल तक भव-भ्रमण करने के पश्चात् अतिबल और महाबल असुर हुए थे । इसका अपरनाम रत्नग्रीव था । <span class="GRef"> (महापुराण 63. 135-136) </span> देखें [[ रत्नग्रीव ]]</span><br /><br /><br /> | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 14:14, 23 June 2023
अश्वग्रीव का ज्येष्ठ पुत्र और रत्नायुध का भाई । ये दोनों भाई मरकर चिरकाल तक भव-भ्रमण करने के पश्चात् अतिबल और महाबल असुर हुए थे । इसका अपरनाम रत्नग्रीव था । (महापुराण 63. 135-136) देखें रत्नग्रीव
पूर्व पृष्ठ
अगला पृष्ठ