स्तनलोलुप: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> दूसरे नरक का ग्यारहवां इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ चार और विदिशाओं में सौ श्रेणिबद्ध बिल है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.79, 115-116 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> दूसरे नरक का ग्यारहवां इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ चार और विदिशाओं में सौ श्रेणिबद्ध बिल है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#79|हरिवंशपुराण - 4.79]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#115|हरिवंशपुराण - 4.115]]-116 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
दूसरे नरक का ग्यारहवां इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ चार और विदिशाओं में सौ श्रेणिबद्ध बिल है । हरिवंशपुराण - 4.79,हरिवंशपुराण - 4.115-116