स्वयंवर: Difference between revisions
From जैनकोष
Vandana Jain (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p id="1">(1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का अयोध्या नगरी का राजा । इसकी रानी सिद्धार्था थी । ये तीर्थंकर अभिनंदननाथ के पिता थे । <span class="GRef"> महापुराण 50. 16-22 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का अयोध्या नगरी का राजा । इसकी रानी सिद्धार्था थी । ये तीर्थंकर अभिनंदननाथ के पिता थे । <span class="GRef"> महापुराण 50. 16-22 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विवाह की एक विधि । इसमें कन्या अपने पति का स्वयं वरण करती है । इसका शुभारंभ वाराणसी के राजा अकंपन ने किया था । <span class="GRef"> महापुराण 43.196-198, 202-203, 325-329, 334 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) विवाह की एक विधि । इसमें कन्या अपने पति का स्वयं वरण करती है । इसका शुभारंभ वाराणसी के राजा अकंपन ने किया था । <span class="GRef"> महापुराण 43.196-198, 202-203, 325-329, 334 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:31, 27 November 2023
(1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का अयोध्या नगरी का राजा । इसकी रानी सिद्धार्था थी । ये तीर्थंकर अभिनंदननाथ के पिता थे । महापुराण 50. 16-22
(2) विवाह की एक विधि । इसमें कन्या अपने पति का स्वयं वरण करती है । इसका शुभारंभ वाराणसी के राजा अकंपन ने किया था । महापुराण 43.196-198, 202-203, 325-329, 334