ऊर्ध्व गति: Difference between revisions
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Latest revision as of 08:34, 1 August 2023
राजवार्तिक/2/7/14/113/7 ऊर्ध्वगतित्वमपि साधारणम् । अग्न्यादीनामूर्ध्वगतिपारिणामिकत्वात् । तच्च कर्मोदयाद्यपेक्षाभावात् पारिणामिकम् । एवमन्ये चात्मन: साधारणा: पारिणामिका योज्या:।
राजवार्तिक/10/7/4/645/18 ऊर्ध्वगौरवपरिणामो हि जीव उत्पतयेव।
राजवार्तिक/5/24/21/490/14 सिद्ध्यतामूर्ध्वगतिरेव। =1. अग्नि आदि में भी ऊर्ध्वगति होती है, अत: ऊर्ध्वगतित्व भी साधारण है। कर्मों के उदयादि की अपेक्षा का अभाव होने के कारण वह पारिणामिक है। इसी प्रकार आत्मा में अन्य भी साधारण पारिणामिक भाव होते हैं। 2. क्योंकि जीवों को ऊर्ध्वगौरव धर्मवाला बताया है, अत: वे ऊपर ही जाते हैं। 3. मुक्त होने वाले जीवों को ऊर्ध्वगति ही होती है।
जीव व पुद्गल का ऊर्ध्व गमन-देखें गति - 1।