मनोनुगामिनी: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> एक विद्या । यह छ: वर्ष से भी अधिक समय की कठिन साधना के बाद सिद्ध होती है । विशिष्ट तप के द्वारा इसके पूर्व भी इसकी सिद्धि हो जाती है । दधिमुख नगर के राजा की तीन पुत्रियों—चतुर्लेखा, विद्युत्प्रभा और तरंगमाला ने इसे हनुमान की सहायता से सिद्ध किया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_51#25|पद्मपुराण - 51.25-40]] </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> एक विद्या । यह छ: वर्ष से भी अधिक समय की कठिन साधना के बाद सिद्ध होती है । विशिष्ट तप के द्वारा इसके पूर्व भी इसकी सिद्धि हो जाती है । दधिमुख नगर के राजा की तीन पुत्रियों—चतुर्लेखा, विद्युत्प्रभा और तरंगमाला ने इसे हनुमान की सहायता से सिद्ध किया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_51#25|पद्मपुराण - 51.25-40]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
एक विद्या । यह छ: वर्ष से भी अधिक समय की कठिन साधना के बाद सिद्ध होती है । विशिष्ट तप के द्वारा इसके पूर्व भी इसकी सिद्धि हो जाती है । दधिमुख नगर के राजा की तीन पुत्रियों—चतुर्लेखा, विद्युत्प्रभा और तरंगमाला ने इसे हनुमान की सहायता से सिद्ध किया था । पद्मपुराण - 51.25-40