नरसेन: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
सिद्धचक्क कहा वड्ढमाण कहा, श्रीपाल चरित आदि के रचयिता एक अपभ्रंश कवि गृहस्थ। समय–वि.श.14 का मध्य। (ती./4/223)। | |||
<noinclude> | |||
[[ | [[ नरवृष्टि | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[Category:न]] | [[ नरहरि | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: न]] |
Revision as of 21:42, 5 July 2020
सिद्धचक्क कहा वड्ढमाण कहा, श्रीपाल चरित आदि के रचयिता एक अपभ्रंश कवि गृहस्थ। समय–वि.श.14 का मध्य। (ती./4/223)।