सहस्रपर्वा: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> पर्वतवासिनी औषधिज्ञानी एक विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि विद्याधरों को दी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22. 67-69, 73 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> पर्वतवासिनी औषधिज्ञानी एक विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि विद्याधरों को दी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#67|हरिवंशपुराण - 22.67-69]], 73 </span></p> | ||
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Revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
हरिवंशपुराण/22/51-73 का भावार्थ
–भगवान् ऋषभदेव से नमि और विनमि द्वारा राज्य की याचना करने पर धरणेंद्र ने अनेक देवों के संग आकर उन दोनों को अपनी देवियों से कुछ विद्याएँ दिलाकर संतुष्ट किया। उनमें से एक विद्या सहस्रपर्वा है। ( महापुराण/7/34-334 )।
अधिक जानकारी के लिये देखें विद्या ।
पुराणकोष से
पर्वतवासिनी औषधिज्ञानी एक विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि विद्याधरों को दी थी । हरिवंशपुराण - 22.67-69, 73