निसर्ग: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
स.सि./1/3/12/3<span class="SanskritText"> निसर्ग: स्वभाव इत्यर्थ:।</span> स.सि./6/9/326/9<span class="SanskritText"> निसृज्यत इति निसर्ग: प्रवर्तनम् । </span>=<span class="HindiText">निसर्ग का अर्थ स्वभाव है अथवा निसर्ग का अर्थ प्रवर्तन है। (रा.वा./1/3/-/22/16 तथा 6/9/2/516/2)।</span> | |||
<p> </p> | <p> </p> | ||
<noinclude> | |||
[[ | [[ निष्पिच्छ | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[Category:न]] | [[ निसर्ग क्रिया | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: न]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<p> अजीवाधिकरण-आस्रव का एक भेद । इसके तीन भेद होते हैं—वाङ्निसर्ग, मनोनिसर्ग और कायनिसर्ग । इनमें वचन की स्वच्छन्द प्रवृत्ति वाङ्निसर्ग मन की स्वच्छन्द प्रवृत्ति मनोनिसर्ग और काय की स्वच्छन्द प्रवृत्ति कायनिसर्ग है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.86, 90 </span></p> | |||
<noinclude> | |||
[[ निष्पिच्छ | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ निसर्ग क्रिया | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: न]] |
Revision as of 21:43, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == स.सि./1/3/12/3 निसर्ग: स्वभाव इत्यर्थ:। स.सि./6/9/326/9 निसृज्यत इति निसर्ग: प्रवर्तनम् । =निसर्ग का अर्थ स्वभाव है अथवा निसर्ग का अर्थ प्रवर्तन है। (रा.वा./1/3/-/22/16 तथा 6/9/2/516/2)।
पुराणकोष से
अजीवाधिकरण-आस्रव का एक भेद । इसके तीन भेद होते हैं—वाङ्निसर्ग, मनोनिसर्ग और कायनिसर्ग । इनमें वचन की स्वच्छन्द प्रवृत्ति वाङ्निसर्ग मन की स्वच्छन्द प्रवृत्ति मनोनिसर्ग और काय की स्वच्छन्द प्रवृत्ति कायनिसर्ग है । हरिवंशपुराण 58.86, 90