मेरुपंक्ति व्रत: Difference between revisions
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<p class="HindiText">अढ़ाई द्वीप में सुदर्शन आदि पाँच मेरु हैं ( | <p class="HindiText">अढ़ाई द्वीप में सुदर्शन आदि पाँच मेरु हैं (देखें - [[ सुमेरु | सुमेरु ]]) । प्रत्येक मेरु के चार-चार वन हैं । प्रत्येक वन में चार-चार चैत्यालय हैं । प्रत्येक वन के चार चैत्यालयों के चार उपवास व चार पारणा, तत्पश्चात् एक बेला एक पारणा करे । इस प्रकार कुल ८० उपवास, २० बेले और १०० पारणा करे । ‘‘ओं ह्नीं पंचमेरु सम्बन्धी अस्सीजिनालयेभ्यो नमः’’ अथवा ‘‘ओं ह्वीं (उस-उस मेरु का नाम) सम्बन्धी षोडशजिनालयेभ्यो नमः’’ इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे । (व्रत-विधान संग्रह)।</p> | ||
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Revision as of 15:25, 6 October 2014
अढ़ाई द्वीप में सुदर्शन आदि पाँच मेरु हैं (देखें - सुमेरु ) । प्रत्येक मेरु के चार-चार वन हैं । प्रत्येक वन में चार-चार चैत्यालय हैं । प्रत्येक वन के चार चैत्यालयों के चार उपवास व चार पारणा, तत्पश्चात् एक बेला एक पारणा करे । इस प्रकार कुल ८० उपवास, २० बेले और १०० पारणा करे । ‘‘ओं ह्नीं पंचमेरु सम्बन्धी अस्सीजिनालयेभ्यो नमः’’ अथवा ‘‘ओं ह्वीं (उस-उस मेरु का नाम) सम्बन्धी षोडशजिनालयेभ्यो नमः’’ इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे । (व्रत-विधान संग्रह)।