अनुदिश: Difference between revisions
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[[राजवार्तिक | राजवार्तिक]] अध्याय संख्या ४/१९,५/२२५/१ किमनुदिशमिति। प्रतिदिशमित्यर्थः। <br>= <br> <b>प्रश्न</b> - अनुदिशसे क्या तात्पर्य है? <br> <b>उत्तर</b> - अनुदिश अर्थात् प्रत्येक दिशामें वर्तमान विमान। अर्थात् जो प्रत्येक आठ दिशाओं में पाये जायें, वे अनुदिश हैं। क्योंकि अनुदिश विमान एक मथ्यमें है तथा दिशाओं व विदिशाओं में आठ हैं। अतः इन विमानों को अनुदिश कहते हैं। २. कल्पातीत स्वर्गों का एक भेद. - | [[राजवार्तिक | राजवार्तिक]] अध्याय संख्या ४/१९,५/२२५/१ किमनुदिशमिति। प्रतिदिशमित्यर्थः। <br>= <br> <b>प्रश्न</b> - अनुदिशसे क्या तात्पर्य है? <br> <b>उत्तर</b> - अनुदिश अर्थात् प्रत्येक दिशामें वर्तमान विमान। अर्थात् जो प्रत्येक आठ दिशाओं में पाये जायें, वे अनुदिश हैं। क्योंकि अनुदिश विमान एक मथ्यमें है तथा दिशाओं व विदिशाओं में आठ हैं। अतः इन विमानों को अनुदिश कहते हैं। २. कल्पातीत स्वर्गों का एक भेद. - <b>देखे </b>[[स्वर्ग]] ५/२।<br>[[Category:अ]] <br>[[Category:राजवार्तिक]] <br> |
Revision as of 06:52, 2 September 2008
राजवार्तिक अध्याय संख्या ४/१९,५/२२५/१ किमनुदिशमिति। प्रतिदिशमित्यर्थः।
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प्रश्न - अनुदिशसे क्या तात्पर्य है?
उत्तर - अनुदिश अर्थात् प्रत्येक दिशामें वर्तमान विमान। अर्थात् जो प्रत्येक आठ दिशाओं में पाये जायें, वे अनुदिश हैं। क्योंकि अनुदिश विमान एक मथ्यमें है तथा दिशाओं व विदिशाओं में आठ हैं। अतः इन विमानों को अनुदिश कहते हैं। २. कल्पातीत स्वर्गों का एक भेद. - देखे स्वर्ग ५/२।