रामदत्त: Difference between revisions
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<p class="HindiText">म. पु./५९ श्लोक; पोदनपुर के राजा पूर्णचन्द की पुत्री थी (२१०) पति सिंहसेन की मृत्यु से व्याकुलित हो दीक्षा ग्रहण कर ली (२०२) अन्त में मरकर महाशुक्र स्वर्ग में देव हुई (२२५-२२६) यह मेरुगणधर का पूर्व का नवाँ भव | <p class="HindiText">म. पु./५९ श्लोक; पोदनपुर के राजा पूर्णचन्द की पुत्री थी (२१०) पति सिंहसेन की मृत्यु से व्याकुलित हो दीक्षा ग्रहण कर ली (२०२) अन्त में मरकर महाशुक्र स्वर्ग में देव हुई (२२५-२२६) यह मेरुगणधर का पूर्व का नवाँ भव है−देखें - [[ मेरु | मेरु। ]]</p> | ||
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Revision as of 15:25, 6 October 2014
म. पु./५९ श्लोक; पोदनपुर के राजा पूर्णचन्द की पुत्री थी (२१०) पति सिंहसेन की मृत्यु से व्याकुलित हो दीक्षा ग्रहण कर ली (२०२) अन्त में मरकर महाशुक्र स्वर्ग में देव हुई (२२५-२२६) यह मेरुगणधर का पूर्व का नवाँ भव है−देखें - मेरु।