स्त्री संगति: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> भगवती आराधना/334/554 </span> <span class="PrakritText">सव्वत्थ इत्थिवग्गम्मि अप्पमत्तो सया अवीसत्थो। णित्थरदि बंभचेरं तव्विवरीदो ण णित्थरदि।334।</span> =<span class="HindiText"> संपूर्ण स्त्री मात्र में मुनि को विश्वास रहित होना चाहिए, प्रमाद रहित होना चाहिए, तभी आजन्म ब्रह्मचर्य पालन कर सकेगा, अन्यथा ब्रह्मचर्य को नहीं निभा सकेगा।</span><br> | |||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ संगति#7 | संगति 7 ]]। </p> | <p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ संगति#7 | संगति 7 ]]। </p> |
Latest revision as of 10:42, 27 February 2024
भगवती आराधना/334/554 सव्वत्थ इत्थिवग्गम्मि अप्पमत्तो सया अवीसत्थो। णित्थरदि बंभचेरं तव्विवरीदो ण णित्थरदि।334। = संपूर्ण स्त्री मात्र में मुनि को विश्वास रहित होना चाहिए, प्रमाद रहित होना चाहिए, तभी आजन्म ब्रह्मचर्य पालन कर सकेगा, अन्यथा ब्रह्मचर्य को नहीं निभा सकेगा।
अधिक जानकारी के लिये देखें संगति 7 ।