वसु: Difference between revisions
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<li> लौकान्तिक देवीं का एक भेद - | <li> लौकान्तिक देवीं का एक भेद - देखें - [[ लौकान्तिक | लौकान्तिक। ]]</li> | ||
<li> एक अज्ञानवादी - | <li> एक अज्ञानवादी - देखें - [[ अज्ञानवाद | अज्ञानवाद। ]]</li> | ||
<li> प.पु./११/श्लोक सं.- इक्ष्वाकु। (कुल के राजा ययाति का पुत्र ।१३ । क्षरिकदम्ब गुरु का शिष्य था) ।१४। सत्यवादी होते हुए भी गुरुमाता के कहने से उसके पुत्र पर्वत के पक्ष को पुष्ट करने के लिए, ‘अजैर्जष्टव्यम्’ शब्द का अर्थ तिसाला जौ न करके ‘बकरे से यज्ञ करना चाहिए’ ऐसा कर दिया।६२। फलस्वरूप सातवें नरक में गया।७३। (म.पु./६७/२५६-२८१, ४१३-४३९)। </li> | <li> प.पु./११/श्लोक सं.- इक्ष्वाकु। (कुल के राजा ययाति का पुत्र ।१३ । क्षरिकदम्ब गुरु का शिष्य था) ।१४। सत्यवादी होते हुए भी गुरुमाता के कहने से उसके पुत्र पर्वत के पक्ष को पुष्ट करने के लिए, ‘अजैर्जष्टव्यम्’ शब्द का अर्थ तिसाला जौ न करके ‘बकरे से यज्ञ करना चाहिए’ ऐसा कर दिया।६२। फलस्वरूप सातवें नरक में गया।७३। (म.पु./६७/२५६-२८१, ४१३-४३९)। </li> | ||
<li> चन्देरी का राजा था। महाभारत से पूर्ववर्ती है। ‘‘इन्होंने इन्द्र व पर्वत दोनों का इकट्ठे ही हव्य ग्रहण किया था’’ ऐसा कथन आता है। समय- ई.पू.२००० (ऋग्वेद मण्डल सूक्त ५३)। </li> | <li> चन्देरी का राजा था। महाभारत से पूर्ववर्ती है। ‘‘इन्होंने इन्द्र व पर्वत दोनों का इकट्ठे ही हव्य ग्रहण किया था’’ ऐसा कथन आता है। समय- ई.पू.२००० (ऋग्वेद मण्डल सूक्त ५३)। </li> |
Revision as of 15:26, 6 October 2014
- लौकान्तिक देवीं का एक भेद - देखें - लौकान्तिक।
- एक अज्ञानवादी - देखें - अज्ञानवाद।
- प.पु./११/श्लोक सं.- इक्ष्वाकु। (कुल के राजा ययाति का पुत्र ।१३ । क्षरिकदम्ब गुरु का शिष्य था) ।१४। सत्यवादी होते हुए भी गुरुमाता के कहने से उसके पुत्र पर्वत के पक्ष को पुष्ट करने के लिए, ‘अजैर्जष्टव्यम्’ शब्द का अर्थ तिसाला जौ न करके ‘बकरे से यज्ञ करना चाहिए’ ऐसा कर दिया।६२। फलस्वरूप सातवें नरक में गया।७३। (म.पु./६७/२५६-२८१, ४१३-४३९)।
- चन्देरी का राजा था। महाभारत से पूर्ववर्ती है। ‘‘इन्होंने इन्द्र व पर्वत दोनों का इकट्ठे ही हव्य ग्रहण किया था’’ ऐसा कथन आता है। समय- ई.पू.२००० (ऋग्वेद मण्डल सूक्त ५३)।