वादिराज: Difference between revisions
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<li> आ.समन्त भद्र (ई.१२०-१८५) का अपर नाम ( | <li> आ.समन्त भद्र (ई.१२०-१८५) का अपर नाम ( देखें - [[ इतिहास#7.1 | इतिहास / ७ / १ ]])। </li> | ||
<li> दक्षिण देशवासी श्री विजय (ई.९५०) के गुरु। समय-ई.श.१० का पूर्वार्ध। (ती./३/९२)। </li> | <li> दक्षिण देशवासी श्री विजय (ई.९५०) के गुरु। समय-ई.श.१० का पूर्वार्ध। (ती./३/९२)। </li> | ||
<li> द्रविड़संघ नन्दि गच्छ उरुंगल शाखा मति सागर के शिष्य, श्रीपाल के प्रशिष्य, अनन्तवीर्य तथा दयापाल के सहधर्मा । एकीभाव स्त्रोत की रचना द्वारा अपने कुष्ट रोग का शमन किया। कृति - पार्श्वनाथ चरित्र, यशीधर चरित्र, एकीभाव स्त्रोत, न्याय विनिश्चय विवरण, प्रमाण निर्णय। समय - चालुक्य नरेश जयसिंह (ई.१०१६-१०४२) द्वारा सम्मानित। पार्श्वनाथ चरित्र का रचना काल शक ९४७ (ई.१०२५) अतः ई.१०१०-१०६५। ( | <li> द्रविड़संघ नन्दि गच्छ उरुंगल शाखा मति सागर के शिष्य, श्रीपाल के प्रशिष्य, अनन्तवीर्य तथा दयापाल के सहधर्मा । एकीभाव स्त्रोत की रचना द्वारा अपने कुष्ट रोग का शमन किया। कृति - पार्श्वनाथ चरित्र, यशीधर चरित्र, एकीभाव स्त्रोत, न्याय विनिश्चय विवरण, प्रमाण निर्णय। समय - चालुक्य नरेश जयसिंह (ई.१०१६-१०४२) द्वारा सम्मानित। पार्श्वनाथ चरित्र का रचना काल शक ९४७ (ई.१०२५) अतः ई.१०१०-१०६५। ( देखें - [[ इतिहास#6.3 | इतिहास / ६ / ३ ]])। (ती./३/८८-९२)। </li> | ||
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Revision as of 15:26, 6 October 2014
- आ.समन्त भद्र (ई.१२०-१८५) का अपर नाम ( देखें - इतिहास / ७ / १ )।
- दक्षिण देशवासी श्री विजय (ई.९५०) के गुरु। समय-ई.श.१० का पूर्वार्ध। (ती./३/९२)।
- द्रविड़संघ नन्दि गच्छ उरुंगल शाखा मति सागर के शिष्य, श्रीपाल के प्रशिष्य, अनन्तवीर्य तथा दयापाल के सहधर्मा । एकीभाव स्त्रोत की रचना द्वारा अपने कुष्ट रोग का शमन किया। कृति - पार्श्वनाथ चरित्र, यशीधर चरित्र, एकीभाव स्त्रोत, न्याय विनिश्चय विवरण, प्रमाण निर्णय। समय - चालुक्य नरेश जयसिंह (ई.१०१६-१०४२) द्वारा सम्मानित। पार्श्वनाथ चरित्र का रचना काल शक ९४७ (ई.१०२५) अतः ई.१०१०-१०६५। ( देखें - इतिहास / ६ / ३ )। (ती./३/८८-९२)।