विमुख: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>न्या.वि./वृ./ | <p>न्या.वि./वृ./1/20/217/24 <span class="SanskritText">विषयात् विभिन्नं मुखं रूपं यस्य तत् ज्ञानं विमुखज्ञानम्। </span>= <span class="HindiText">श्रेय विषयों से विभिन्न रूपवाले ज्ञान को विमुखज्ञान कहते हैं। </span></p> | ||
[[विमिचिता | | <noinclude> | ||
[[ विमिचिता | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:व]] | [[ विमुखी | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: व]] |
Revision as of 21:47, 5 July 2020
न्या.वि./वृ./1/20/217/24 विषयात् विभिन्नं मुखं रूपं यस्य तत् ज्ञानं विमुखज्ञानम्। = श्रेय विषयों से विभिन्न रूपवाले ज्ञान को विमुखज्ञान कहते हैं।