विशेष: Difference between revisions
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न्या.वि./मू./१/१२१/४५०<span class="SanskritText"> समानभावः सामान्यं विशेषो अन्यो व्यपेक्षया।१२१।</span> =<span class="HindiText"> समान भाव को सामान्य कहते हैं और उससे अन्य अर्थात् विसमान भाव को विशेष कहते हैं। </span><br /> | न्या.वि./मू./१/१२१/४५०<span class="SanskritText"> समानभावः सामान्यं विशेषो अन्यो व्यपेक्षया।१२१।</span> =<span class="HindiText"> समान भाव को सामान्य कहते हैं और उससे अन्य अर्थात् विसमान भाव को विशेष कहते हैं। </span><br /> | ||
न्या.वि./वृ./१/४/१२१/११ <span class="SanskritText">व्यावृत्तबुद्धिहेतुत्वाद्विशेषः। </span>= <span class="HindiText">व्यावृत्ति अर्थात् भेद की बुद्धि उत्पन्न करने वाला विशेष है। (स्या.म./८/६८/२६)। </span><br /> | न्या.वि./वृ./१/४/१२१/११ <span class="SanskritText">व्यावृत्तबुद्धिहेतुत्वाद्विशेषः। </span>= <span class="HindiText">व्यावृत्ति अर्थात् भेद की बुद्धि उत्पन्न करने वाला विशेष है। (स्या.म./८/६८/२६)। </span><br /> | ||
द्र.सं./टी./२८/८६/३ <span class="SanskritText">विशेषा इत्यस्य कोऽर्थः। पर्यायः। </span>= <span class="HindiText">विशेष का अर्थ पर्याय | द्र.सं./टी./२८/८६/३ <span class="SanskritText">विशेषा इत्यस्य कोऽर्थः। पर्यायः। </span>= <span class="HindiText">विशेष का अर्थ पर्याय है।– देखें - [[ अपवाद#1.1 | अपवाद / १ / १ ]]। </span><br /> | ||
स्या.मं./४/१७/१५ <span class="SanskritText">स एव च इतरेभ्यः सजातीयविजातीयेभ्यो द्रव्यक्षेत्रकालभावैरात्मानं व्यावर्तयन् विशेषव्यपदेश-मश्नुते। </span>= <span class="HindiText">यही (घट पदार्थ) दूसरे सजातीय और विजातीय पदार्थों से द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव से अपनी व्यावृत्ति करता हुआ विशेष कहा जाता है। </span><br /> | स्या.मं./४/१७/१५ <span class="SanskritText">स एव च इतरेभ्यः सजातीयविजातीयेभ्यो द्रव्यक्षेत्रकालभावैरात्मानं व्यावर्तयन् विशेषव्यपदेश-मश्नुते। </span>= <span class="HindiText">यही (घट पदार्थ) दूसरे सजातीय और विजातीय पदार्थों से द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव से अपनी व्यावृत्ति करता हुआ विशेष कहा जाता है। </span><br /> | ||
ध./उ./२<span class="SanskritText"> अस्त्यल्पव्यापको यस्तु विशेषः सदृशेतरः।२। </span>=<span class="HindiText"> जो विसदृशता का द्योतक तथा अल्प देशव्यापी विशेष होता है। <br /> | ध./उ./२<span class="SanskritText"> अस्त्यल्पव्यापको यस्तु विशेषः सदृशेतरः।२। </span>=<span class="HindiText"> जो विसदृशता का द्योतक तथा अल्प देशव्यापी विशेष होता है। <br /> | ||
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<li><span class="HindiText"> वस्तु सामान्य विशेषात्मक | <li><span class="HindiText"> वस्तु सामान्य विशेषात्मक है–देखें - [[ सामान्य | सामान्य। ]]<br /> | ||
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<li><span class="HindiText"> गणित विषय में विशेष का लक्षण–Common difference; | <li><span class="HindiText"> गणित विषय में विशेष का लक्षण–Common difference; चय– देखें - [[ गणित#II.5.3 | गणित / II / ५ / ३ ]]। </span></li> | ||
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Revision as of 16:25, 6 October 2014
- विशेष
स.सि./६/८/३२५/६ विशिष्यतेऽर्थोऽर्थान्तरादिति विशेषः। = जिससे एक अर्थ दूसरे अर्थ से विशेषता को प्राप्त हो वह विशेष है। (रा.वा./६/८/११/५१४/१६), (रा.वा./१/१/१/३/२३)।
न्या.वि./मू./१/१२१/४५० समानभावः सामान्यं विशेषो अन्यो व्यपेक्षया।१२१। = समान भाव को सामान्य कहते हैं और उससे अन्य अर्थात् विसमान भाव को विशेष कहते हैं।
न्या.वि./वृ./१/४/१२१/११ व्यावृत्तबुद्धिहेतुत्वाद्विशेषः। = व्यावृत्ति अर्थात् भेद की बुद्धि उत्पन्न करने वाला विशेष है। (स्या.म./८/६८/२६)।
द्र.सं./टी./२८/८६/३ विशेषा इत्यस्य कोऽर्थः। पर्यायः। = विशेष का अर्थ पर्याय है।– देखें - अपवाद / १ / १ ।
स्या.मं./४/१७/१५ स एव च इतरेभ्यः सजातीयविजातीयेभ्यो द्रव्यक्षेत्रकालभावैरात्मानं व्यावर्तयन् विशेषव्यपदेश-मश्नुते। = यही (घट पदार्थ) दूसरे सजातीय और विजातीय पदार्थों से द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव से अपनी व्यावृत्ति करता हुआ विशेष कहा जाता है।
ध./उ./२ अस्त्यल्पव्यापको यस्तु विशेषः सदृशेतरः।२। = जो विसदृशता का द्योतक तथा अल्प देशव्यापी विशेष होता है।
- विशेष के भेद
प.मु./४/६-७ विशेषश्च/६/पर्यायव्यतिरेकभेदात्।७। = पर्याय और व्यतिरेक के भेद से विशेष भी दो प्रकार का है।–(इन दोनों के लक्षण दे. वह वह नाम)।
- ज्ञान विशेषोपयोगी है
पं.का./त.प्र./४० विशेषग्राहिज्ञानम्। = विशेष को ग्रहण करने वाला ज्ञान है।
स्या.मं./१/१०/२३ प्रधानविशेषमुपसर्जनीकृतसामान्यं च ज्ञानमिति। = सामान्य को गौण करके विशेष की मुख्यतापूर्वक किसी वस्तु के ग्रहण को ज्ञान कहते हैं।
- वस्तु सामान्य विशेषात्मक है–देखें - सामान्य।
- गणित विषय में विशेष का लक्षण–Common difference; चय– देखें - गणित / II / ५ / ३ ।