व्यवसाय: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>न्या.वि./वृ./१/७/१४०/१७ <span class="SanskritText">अवसायोऽधिगमस्तदभावो व्यवसायो विशब्दस्याभावार्थत्वात् विमलादिवत् । </span>= <span class="HindiText">अधिगम अर्थात् ज्ञान को अवसाय कहते हैं । उसका अभाव व्यवसाय है, क्योंकि ‘वि’ उपसर्ग अभावार्थक है, जैसे ‘विमल’ का अर्थ मल रहित है । </span><br /> | <p>न्या.वि./वृ./१/७/१४०/१७ <span class="SanskritText">अवसायोऽधिगमस्तदभावो व्यवसायो विशब्दस्याभावार्थत्वात् विमलादिवत् । </span>= <span class="HindiText">अधिगम अर्थात् ज्ञान को अवसाय कहते हैं । उसका अभाव व्यवसाय है, क्योंकि ‘वि’ उपसर्ग अभावार्थक है, जैसे ‘विमल’ का अर्थ मल रहित है । </span><br /> | ||
द्र.सं./४२/१८१/४ <span class="SanskritText">व्यवसायात्मकं निश्चयात्मकमित्यर्थः ।</span> =<span class="HindiText"> व्यवसायात्मक अर्थात् निश्चयात्मक । <br /> | द्र.सं./४२/१८१/४ <span class="SanskritText">व्यवसायात्मकं निश्चयात्मकमित्यर्थः ।</span> =<span class="HindiText"> व्यवसायात्मक अर्थात् निश्चयात्मक । <br /> | ||
देखें - [[ अवाय | अवाय ]]<strong>–</strong>(अवाय, व्यवसाय, बुद्धि, विज्ञप्ति, आमुंडा और प्रत्यामुंडा–ये पर्यायवाची नाम हैं ।) <br /> | |||
</span></p> | </span></p> | ||
<ul> | <ul> | ||
<li class="HindiText"> कृषि व्यवसाय की | <li class="HindiText"> कृषि व्यवसाय की उत्तमता– देखें - [[ सावद्य#6 | सावद्य / ६ ]]। </li> | ||
</ul> | </ul> | ||
Revision as of 00:20, 28 February 2015
न्या.वि./वृ./१/७/१४०/१७ अवसायोऽधिगमस्तदभावो व्यवसायो विशब्दस्याभावार्थत्वात् विमलादिवत् । = अधिगम अर्थात् ज्ञान को अवसाय कहते हैं । उसका अभाव व्यवसाय है, क्योंकि ‘वि’ उपसर्ग अभावार्थक है, जैसे ‘विमल’ का अर्थ मल रहित है ।
द्र.सं./४२/१८१/४ व्यवसायात्मकं निश्चयात्मकमित्यर्थः । = व्यवसायात्मक अर्थात् निश्चयात्मक ।
देखें - अवाय –(अवाय, व्यवसाय, बुद्धि, विज्ञप्ति, आमुंडा और प्रत्यामुंडा–ये पर्यायवाची नाम हैं ।)
- कृषि व्यवसाय की उत्तमता– देखें - सावद्य / ६ ।