युग: Difference between revisions
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<li class="HindiText"> क्षेत्र का प्रमाण विशेष। अपरनाम दण्ड, मुसल, नाली − | <li class="HindiText"> क्षेत्र का प्रमाण विशेष। अपरनाम दण्ड, मुसल, नाली − देखें [[ गणित#I.1.3 | गणित - I.1.3]]। </li> | ||
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<p><span class="HindiText"><strong>युग</strong></span><strong>−</strong>ध. | <p><span class="HindiText"><strong>युग</strong></span><strong>−</strong>ध. 14/5, 6, 41/38/9<span class="PrakritText"> गरुवत्तणेण महल्लत्तणेण य जं तुरयवेसरादीहि वुब्भदि तं जुगं णाम।</span> = <span class="HindiText">जो बहुत भारी होने से और बहुत बड़े होने से घोड़ा और खच्चर आदि के द्वारा ढोया जाता है, वह युग कहलाता है। </span></p> | ||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
- दो कल्पों का एक युग होता है।
- युग का प्रारम्भ − देखें काल - 4।
- कृतयुग या कर्मभूमि का प्रारम्भ−देखें काल - 4।
- क्षेत्र का प्रमाण विशेष। अपरनाम दण्ड, मुसल, नाली − देखें गणित - I.1.3।
- काल का प्रमाण विशेष।
- देखें गणित - I.1.4।
युग−ध. 14/5, 6, 41/38/9 गरुवत्तणेण महल्लत्तणेण य जं तुरयवेसरादीहि वुब्भदि तं जुगं णाम। = जो बहुत भारी होने से और बहुत बड़े होने से घोड़ा और खच्चर आदि के द्वारा ढोया जाता है, वह युग कहलाता है।