पुरुषार्थवाद: Difference between revisions
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<p>गो.क./मू./ | <p>गो.क./मू./890 <span class="PrakritGatha">आलसड्ढो णिरुच्छाहो फलं किंचिं ण भुंजदे। थणक्खीरादिपाणं वा पउरुसेण विणा ण हि। 890।</span> = <span class="HindiText">आलस्यकरि संयुक्त होय उत्साह उद्यम रहित होइ सौ किछूं भी फल को भोगवै नाहीं। जैसे - स्तन का दूध उद्यम ही तै पीवने में आवै है पौरुष विना पीवने में न आवै। तैसे सर्व पौरुष करि सिद्धि है, ऐसा पौरुषवाद है। 890। </span></p> | ||
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Revision as of 21:43, 5 July 2020
गो.क./मू./890 आलसड्ढो णिरुच्छाहो फलं किंचिं ण भुंजदे। थणक्खीरादिपाणं वा पउरुसेण विणा ण हि। 890। = आलस्यकरि संयुक्त होय उत्साह उद्यम रहित होइ सौ किछूं भी फल को भोगवै नाहीं। जैसे - स्तन का दूध उद्यम ही तै पीवने में आवै है पौरुष विना पीवने में न आवै। तैसे सर्व पौरुष करि सिद्धि है, ऐसा पौरुषवाद है। 890।