महातम:प्रभा: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol> | == सिद्धांतकोष से == | ||
<li> स.सि./ | <ol> | ||
<li class="HindiText"> इसका अपर नाम माधवी है। इसका आकार अवस्थान | <li> स.सि./3/1/203/9 <span class="SanskritText">महातम:भासहचरिता भूमिर्महातम:प्रभा इति</span> = <span class="HindiText">जिसकी प्रभा गाढ अन्धकार के समान है वह महातम:प्रभाभूमि है। (ति. प./2/21)। (रा.वा./1/3/3/159/19); (विशेष देखें [[ तम:प्रभा ]])। </span></li> | ||
<li class="HindiText"> इसका अपर नाम माधवी है। इसका आकार अवस्थान आदि–देखें [[ नरक#5.11 | नरक - 5.11]]।</li> | |||
</ol> | </ol> | ||
[[महातप ऋद्धि | | <noinclude> | ||
[[ महातप ऋद्धि | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:म]] | [[ महातेज | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: म]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<p> नरक की सातवीं भूमि, अपरनाम माधवी । यह घनोदधिवातवलय पर स्थित है । इसकी मोटाई आठ हजार योजन है । इस पृथिवी के मध्य में पैंतीस कोस के विस्तार वाले पाँच बिल है । इसमें एक ही प्रस्तार और उसके मध्य एक अप्रतिष्ठान नामक इन्द्रक है, जिसकी चारों दिशाओं में चार श्रेणीबद्ध बिल हैं । एक इन्द्रक और चार श्रेणीबद्ध दोनों मिलकर इसमें पाँच बिल है । इस भूमि के अप्रतिष्ठान इन्द्रक की पूर्व दिशा में काल, पश्चिम दिशा में महाकाल, दक्षिण दिशा में रौरव और उत्तर दिशा में महारौरव नाम के चार प्रसिद्ध नरक है । यहाँ का इन्द्रक बिल संख्यात योजन विस्तार वाला और चारों दिशाओं के बिल असंख्यात योजन विस्तार वाले हैं । अप्रतिष्ठान इन्द्रक का विस्तार एक लाख योजन तथा अन्तर ऊपर-नीचे तीन हजार नौ सौ निन्यानवे योजन और एक कोस प्रमाण है । यहाँँ की जघन्य आयु बाईस सागर तथा उत्कष्ट आयु तैंतीस सागर है । यहाँ नारकियों की ऊँचाई पाँच सौ धनुष होती है । वे उत्कृष्ट कृष्णलेश्यावान् होते हैं । इस पृथिवी से निकला हुआ प्राणी नियम से संज्ञी तिर्यंच होता है तथा संख्यात वर्ष की आयु का धारक होकर फिर से एक बार नरक जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 10.31-32, 93-94, 98, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.45-46, 57, 72-74, 150-158, 168, 217, 247, 293-294, 339, 375, 378 </span></p> | |||
<noinclude> | |||
[[ महातप ऋद्धि | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ महातेज | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: म]] |
Revision as of 21:45, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- स.सि./3/1/203/9 महातम:भासहचरिता भूमिर्महातम:प्रभा इति = जिसकी प्रभा गाढ अन्धकार के समान है वह महातम:प्रभाभूमि है। (ति. प./2/21)। (रा.वा./1/3/3/159/19); (विशेष देखें तम:प्रभा )।
- इसका अपर नाम माधवी है। इसका आकार अवस्थान आदि–देखें नरक - 5.11।
पुराणकोष से
नरक की सातवीं भूमि, अपरनाम माधवी । यह घनोदधिवातवलय पर स्थित है । इसकी मोटाई आठ हजार योजन है । इस पृथिवी के मध्य में पैंतीस कोस के विस्तार वाले पाँच बिल है । इसमें एक ही प्रस्तार और उसके मध्य एक अप्रतिष्ठान नामक इन्द्रक है, जिसकी चारों दिशाओं में चार श्रेणीबद्ध बिल हैं । एक इन्द्रक और चार श्रेणीबद्ध दोनों मिलकर इसमें पाँच बिल है । इस भूमि के अप्रतिष्ठान इन्द्रक की पूर्व दिशा में काल, पश्चिम दिशा में महाकाल, दक्षिण दिशा में रौरव और उत्तर दिशा में महारौरव नाम के चार प्रसिद्ध नरक है । यहाँ का इन्द्रक बिल संख्यात योजन विस्तार वाला और चारों दिशाओं के बिल असंख्यात योजन विस्तार वाले हैं । अप्रतिष्ठान इन्द्रक का विस्तार एक लाख योजन तथा अन्तर ऊपर-नीचे तीन हजार नौ सौ निन्यानवे योजन और एक कोस प्रमाण है । यहाँँ की जघन्य आयु बाईस सागर तथा उत्कष्ट आयु तैंतीस सागर है । यहाँ नारकियों की ऊँचाई पाँच सौ धनुष होती है । वे उत्कृष्ट कृष्णलेश्यावान् होते हैं । इस पृथिवी से निकला हुआ प्राणी नियम से संज्ञी तिर्यंच होता है तथा संख्यात वर्ष की आयु का धारक होकर फिर से एक बार नरक जाता है । महापुराण 10.31-32, 93-94, 98, हरिवंशपुराण 4.45-46, 57, 72-74, 150-158, 168, 217, 247, 293-294, 339, 375, 378