दु:शासन: Difference between revisions
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पा.पु./सर्ग/श्लोक धृतराष्ट्र का गान्धारी से पुत्र था। (8/192)। भीष्म तथा द्रोणाचार्य से क्रम से शिक्षा तथा धनुर्विद्या प्राप्त की। (8/208)। पाण्डवों से अनेकों बार युद्ध किया। (19/91)। अन्त में भीम द्वारा मारा गया। (20/266)। | |||
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<p> राजा धृतराष्ट्र और रानी गान्धारी के सौ पुत्रों में द्वितीय पुत्र, दुर्योधन का अनुज तथा दुर्धर्षण आदि अन्य भाइयों का अग्रज । इसने भीष्म तथा द्रोणाचार्य से क्रमश: शिक्षा तथा धनुर्विद्या प्राप्त की थी । यह अर्धरथ राजा था । <span class="GRef"> पांडवपुराण 8.208-211 </span>। विरोधवश द्रौपदी के निवास में प्रवेश कर उसकी केश राशि पकड़कर उसे द्युत-सभा में लाने का इसने उद्यम किया था । कृष्ण जरासन्ध महायुद्ध के अठारहवें दिन पाण्डव भीम के द्वारा इसके जीवन का अन्त हो गया । <span class="GRef"> महापुराण 70.117-118, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 50.84, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 8.191-211, 15.84, 16.127-128, 20. 265-265 </span></p> | |||
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Revision as of 21:42, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == पा.पु./सर्ग/श्लोक धृतराष्ट्र का गान्धारी से पुत्र था। (8/192)। भीष्म तथा द्रोणाचार्य से क्रम से शिक्षा तथा धनुर्विद्या प्राप्त की। (8/208)। पाण्डवों से अनेकों बार युद्ध किया। (19/91)। अन्त में भीम द्वारा मारा गया। (20/266)।
पुराणकोष से
राजा धृतराष्ट्र और रानी गान्धारी के सौ पुत्रों में द्वितीय पुत्र, दुर्योधन का अनुज तथा दुर्धर्षण आदि अन्य भाइयों का अग्रज । इसने भीष्म तथा द्रोणाचार्य से क्रमश: शिक्षा तथा धनुर्विद्या प्राप्त की थी । यह अर्धरथ राजा था । पांडवपुराण 8.208-211 । विरोधवश द्रौपदी के निवास में प्रवेश कर उसकी केश राशि पकड़कर उसे द्युत-सभा में लाने का इसने उद्यम किया था । कृष्ण जरासन्ध महायुद्ध के अठारहवें दिन पाण्डव भीम के द्वारा इसके जीवन का अन्त हो गया । महापुराण 70.117-118, हरिवंशपुराण 50.84, पांडवपुराण 8.191-211, 15.84, 16.127-128, 20. 265-265