शास्त्रदान: Difference between revisions
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<p> दान का एक भेद । सत्पुरुषों का उपहार करने की इच्छा हु शास्त्र का व्याख्यान करना या पठन-सामग्री देना शास्त्रदान है । इसके देने और लेने वाले दोनों के कर्मों का संवर-निर्जरा और पुण्य होता है । यह निजानन्द रूप मोक्ष-प्राप्ति का कारण है । <span class="GRef"> महापुराण 56.66-67, 69, 72-73, 76 </span></p> | |||
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == देखें दान ।
पुराणकोष से
दान का एक भेद । सत्पुरुषों का उपहार करने की इच्छा हु शास्त्र का व्याख्यान करना या पठन-सामग्री देना शास्त्रदान है । इसके देने और लेने वाले दोनों के कर्मों का संवर-निर्जरा और पुण्य होता है । यह निजानन्द रूप मोक्ष-प्राप्ति का कारण है । महापुराण 56.66-67, 69, 72-73, 76