श्रीपुर: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) जम्बूद्वीप के विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का बारहवाँ नगर । लंका की विजय करने के पश्चात् राम ने विराधित विद्याधर को इस नगर का राजा बनाया था । विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी को उशीरवती नगरी के राजा हिरण्यवर्मा ने इसी नगर में श्रीपाल मुनि के पास जैनेश्वरी दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 46.145-146, 216-217, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 88.39, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.94, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 3.226 </span></p> | |||
<p id="2">(2) पुष्कर द्वीप में पूर्व मेरु के सुगन्धि देश का एक नगर । यहाँ के राजा का नाम श्रीषेण था । <span class="GRef"> महापुराण 54.8-10, 25, 36 </span></p> | |||
<p id="3">(3) जम्बूद्वीप के ऐरावतक्षेत्र का एक नगर । यहाँ का राजा वसुन्धर था । <span class="GRef"> महापुराण 69.74 </span></p> | |||
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर - देखें विद्याधर ।
पुराणकोष से
(1) जम्बूद्वीप के विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का बारहवाँ नगर । लंका की विजय करने के पश्चात् राम ने विराधित विद्याधर को इस नगर का राजा बनाया था । विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी को उशीरवती नगरी के राजा हिरण्यवर्मा ने इसी नगर में श्रीपाल मुनि के पास जैनेश्वरी दीक्षा ली थी । महापुराण 46.145-146, 216-217, पद्मपुराण 88.39, हरिवंशपुराण 22.94, पांडवपुराण 3.226
(2) पुष्कर द्वीप में पूर्व मेरु के सुगन्धि देश का एक नगर । यहाँ के राजा का नाम श्रीषेण था । महापुराण 54.8-10, 25, 36
(3) जम्बूद्वीप के ऐरावतक्षेत्र का एक नगर । यहाँ का राजा वसुन्धर था । महापुराण 69.74