अतिरूपा: Difference between revisions
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<p> एक देवी । ईशानेन्द्र से मुनि मेघरथ के | <p> एक देवी । ईशानेन्द्र से मुनि मेघरथ के सम्यक्त्व की प्रशंसा सुनकर सुरूपा नाम की एक अन्य देवी के साथ यह उनकी परीक्षा करने के भाव से उनके निकट आयी थी । इसने विलास, विभ्रम, हाव-भाव, गति, बातचीत तथा कामोन्मादक अन्य उपायों से मुनि मेघरथ को विचलित करने का प्रयत्न किया किन्तु यह उन्हें सम्यक्त्व से विचलित नहीं कर सकी । अन्त में इन्द्र का कथन सत्य है― ऐसा कहती हुई यह स्वर्ग लौट गयी । <span class="GRef"> महापुराण 63.285-287 </span></p> | ||
Revision as of 21:37, 5 July 2020
एक देवी । ईशानेन्द्र से मुनि मेघरथ के सम्यक्त्व की प्रशंसा सुनकर सुरूपा नाम की एक अन्य देवी के साथ यह उनकी परीक्षा करने के भाव से उनके निकट आयी थी । इसने विलास, विभ्रम, हाव-भाव, गति, बातचीत तथा कामोन्मादक अन्य उपायों से मुनि मेघरथ को विचलित करने का प्रयत्न किया किन्तु यह उन्हें सम्यक्त्व से विचलित नहीं कर सकी । अन्त में इन्द्र का कथन सत्य है― ऐसा कहती हुई यह स्वर्ग लौट गयी । महापुराण 63.285-287