अनंतजित्: Difference between revisions
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<p id="2">(2) अनन्त संसार के जेता, मिथ्याधर्मरूपी अन्धकार को नष्ट करने के लिए सूर्यस्वरूप चौदहवें तीर्थंकर । हरिवंशपुराण 1.16</p> | <p id="2">(2) अनन्त संसार के जेता, मिथ्याधर्मरूपी अन्धकार को नष्ट करने के लिए सूर्यस्वरूप चौदहवें तीर्थंकर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.16 </span></p> | ||
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Revision as of 21:37, 5 July 2020
(1) सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.69, 104
(2) अनन्त संसार के जेता, मिथ्याधर्मरूपी अन्धकार को नष्ट करने के लिए सूर्यस्वरूप चौदहवें तीर्थंकर । हरिवंशपुराण 1.16