अवतारक्रिया: Difference between revisions
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<p> दीक्षान्वय क्रियाओं में प्रथम किया और गर्भान्वय की क्रियाओं में 38वीं क्रिया । मिथ्यात्वी पुरुष के समीचीन मार्ग की ओर सन्मुख होने पर उसका किसी धर्मोपदेशक से धर्म श्रवण कर तत्त्वज्ञान में अवतरित होना । महापुराण 38.60, 39.7-35</p> | <p> दीक्षान्वय क्रियाओं में प्रथम किया और गर्भान्वय की क्रियाओं में 38वीं क्रिया । मिथ्यात्वी पुरुष के समीचीन मार्ग की ओर सन्मुख होने पर उसका किसी धर्मोपदेशक से धर्म श्रवण कर तत्त्वज्ञान में अवतरित होना । <span class="GRef"> महापुराण 38.60, 39.7-35 </span></p> | ||
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Revision as of 21:37, 5 July 2020
दीक्षान्वय क्रियाओं में प्रथम किया और गर्भान्वय की क्रियाओं में 38वीं क्रिया । मिथ्यात्वी पुरुष के समीचीन मार्ग की ओर सन्मुख होने पर उसका किसी धर्मोपदेशक से धर्म श्रवण कर तत्त्वज्ञान में अवतरित होना । महापुराण 38.60, 39.7-35