कुण्डलगिरि: Difference between revisions
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<p> कुण्डलवर द्वीप के मध्य में चूड़ी के आकार का यवों की राशि के समान सुशोभित एक पर्वत । इसकी गहराई एक हजार और ऊंचाई बयालीस हजार योजन है । चौड़ाई मूल में दस हजार दो सौ बीस योजन, मध्य में सात हजार एक सौ इकंसठ योजन और अन्त में चार हजार छियानवें योजन है । शिरोमार्ग पर पूर्व आदि दिशाओं में चार-चार कट है । महापुराण 5.291, हरिवंशपुराण 5.686-694</p> | <p> कुण्डलवर द्वीप के मध्य में चूड़ी के आकार का यवों की राशि के समान सुशोभित एक पर्वत । इसकी गहराई एक हजार और ऊंचाई बयालीस हजार योजन है । चौड़ाई मूल में दस हजार दो सौ बीस योजन, मध्य में सात हजार एक सौ इकंसठ योजन और अन्त में चार हजार छियानवें योजन है । शिरोमार्ग पर पूर्व आदि दिशाओं में चार-चार कट है । <span class="GRef"> महापुराण 5.291, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.686-694 </span></p> | ||
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Revision as of 21:39, 5 July 2020
कुण्डलवर द्वीप के मध्य में चूड़ी के आकार का यवों की राशि के समान सुशोभित एक पर्वत । इसकी गहराई एक हजार और ऊंचाई बयालीस हजार योजन है । चौड़ाई मूल में दस हजार दो सौ बीस योजन, मध्य में सात हजार एक सौ इकंसठ योजन और अन्त में चार हजार छियानवें योजन है । शिरोमार्ग पर पूर्व आदि दिशाओं में चार-चार कट है । महापुराण 5.291, हरिवंशपुराण 5.686-694