केतक: Difference between revisions
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<p> नरक का कठोर करोंत जैसे पत्तों वाला वन । पूर्वभव में जिन्होंने पर-स्त्रियों के साथ रतिक्रीडा की थी उसके नारकी जीव होने पर उनसे अन्य नारकी आकर कहते हैं कि उसकी प्रिया उन्हें अभिसार करने की इच्छा से केतकी के एकान्त वन में बुला रही है । वे उन्हें वहाँ से आकर तपायी हुई लोहे की गर्म पुतलियों के साथ आलिंगन कराते हैं । पद्मपुराण 10.48-49</p> | <p> नरक का कठोर करोंत जैसे पत्तों वाला वन । पूर्वभव में जिन्होंने पर-स्त्रियों के साथ रतिक्रीडा की थी उसके नारकी जीव होने पर उनसे अन्य नारकी आकर कहते हैं कि उसकी प्रिया उन्हें अभिसार करने की इच्छा से केतकी के एकान्त वन में बुला रही है । वे उन्हें वहाँ से आकर तपायी हुई लोहे की गर्म पुतलियों के साथ आलिंगन कराते हैं । <span class="GRef"> पद्मपुराण 10.48-49 </span></p> | ||
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Revision as of 21:39, 5 July 2020
नरक का कठोर करोंत जैसे पत्तों वाला वन । पूर्वभव में जिन्होंने पर-स्त्रियों के साथ रतिक्रीडा की थी उसके नारकी जीव होने पर उनसे अन्य नारकी आकर कहते हैं कि उसकी प्रिया उन्हें अभिसार करने की इच्छा से केतकी के एकान्त वन में बुला रही है । वे उन्हें वहाँ से आकर तपायी हुई लोहे की गर्म पुतलियों के साथ आलिंगन कराते हैं । पद्मपुराण 10.48-49