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<p id="1">(1) यह चार प्रचर की होती है― नरकगति, तिर्यग्गति, मनुष्यगति, और देवगति । ये कर्मानुसार प्राप्त होती है । महापुराण 4. 10, 53, 81, पद्मपुराण 2.161-168,5.326</p> | <p id="1">(1) यह चार प्रचर की होती है― नरकगति, तिर्यग्गति, मनुष्यगति, और देवगति । ये कर्मानुसार प्राप्त होती है । <span class="GRef"> महापुराण 4. 10, 53, 81, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 2.161-168,5.326 </span></p> | ||
<p id="2">(2) तालगत गान्धर्व का एक भेद । हरिवंशपुराण 19.151</p> | <p id="2">(2) तालगत गान्धर्व का एक भेद । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.151 </span></p> | ||
<p id="3">(3) सौधर्मेन्द्र द्वारा लता वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 21.142 </p> | <p id="3">(3) सौधर्मेन्द्र द्वारा लता वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 21.142 </span></p> | ||
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Revision as of 21:40, 5 July 2020
(1) यह चार प्रचर की होती है― नरकगति, तिर्यग्गति, मनुष्यगति, और देवगति । ये कर्मानुसार प्राप्त होती है । महापुराण 4. 10, 53, 81, पद्मपुराण 2.161-168,5.326
(2) तालगत गान्धर्व का एक भेद । हरिवंशपुराण 19.151
(3) सौधर्मेन्द्र द्वारा लता वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 21.142