गांधार: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का एक देश । पद्मपुराण 94.7 हरिवंशपुराण 30. 6</p> | <p id="1"> (1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का एक देश । <span class="GRef"> पद्मपुराण 94.7 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 30. 6 </span></p> | ||
<p id="2">(2) ऋषभदेव के समय में इन्द्र द्वारा निर्मित भरत-क्षेत्र के उत्तर आर्यखण्ड का एक देश । महावीर की विहारभूमि । महापुराण 16.155, हरिवंशपुराण 3. 5, 11. 17</p> | <p id="2">(2) ऋषभदेव के समय में इन्द्र द्वारा निर्मित भरत-क्षेत्र के उत्तर आर्यखण्ड का एक देश । महावीर की विहारभूमि । <span class="GRef"> महापुराण 16.155, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3. 5, 11. 17 </span></p> | ||
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<p id="4">(4) गान्धार देश का एक नगर । महापुराण 63.384</p> | <p id="4">(4) गान्धार देश का एक नगर । <span class="GRef"> महापुराण 63.384 </span></p> | ||
<p id="5">(5) सात स्वरों में एक स्वर । पद्मपुराण 17.277, हरिवंशपुराण 19.153 </p> | <p id="5">(5) सात स्वरों में एक स्वर । <span class="GRef"> पद्मपुराण 17.277, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.153 </span></p> | ||
<p id="6">(6) अदिति देवी के द्वारा नमि और विनमि को प्रदत्त विद्याओं के आठ निकायों में पांचवां निकाय । हरिवंशपुराण 22.57</p> | <p id="6">(6) अदिति देवी के द्वारा नमि और विनमि को प्रदत्त विद्याओं के आठ निकायों में पांचवां निकाय । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.57 </span></p> | ||
<p id="7">(7) गान्धार देश के घोड़े । मनुष्य 30. 107</p> | <p id="7">(7) गान्धार देश के घोड़े । मनुष्य 30. 107</p> | ||
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Revision as of 21:40, 5 July 2020
(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का एक देश । पद्मपुराण 94.7 हरिवंशपुराण 30. 6
(2) ऋषभदेव के समय में इन्द्र द्वारा निर्मित भरत-क्षेत्र के उत्तर आर्यखण्ड का एक देश । महावीर की विहारभूमि । महापुराण 16.155, हरिवंशपुराण 3. 5, 11. 17
(3) जम्बूद्वीप के ऐरावत क्षेत्र का एक देश । महापुराण 63. 99, हरिवंशपुराण 3.5
(4) गान्धार देश का एक नगर । महापुराण 63.384
(5) सात स्वरों में एक स्वर । पद्मपुराण 17.277, हरिवंशपुराण 19.153
(6) अदिति देवी के द्वारा नमि और विनमि को प्रदत्त विद्याओं के आठ निकायों में पांचवां निकाय । हरिवंशपुराण 22.57
(7) गान्धार देश के घोड़े । मनुष्य 30. 107