जीवविचय: Difference between revisions
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<p> धर्मध्यान के दस भेदों मे तीसरा भेद । इस ध्यान में द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नयों से जीव के स्वरूप का चिन्तन किया जाता है । हरिवंशपुराण 56.42-43</p> | <p> धर्मध्यान के दस भेदों मे तीसरा भेद । इस ध्यान में द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नयों से जीव के स्वरूप का चिन्तन किया जाता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 56.42-43 </span></p> | ||
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Revision as of 21:41, 5 July 2020
धर्मध्यान के दस भेदों मे तीसरा भेद । इस ध्यान में द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नयों से जीव के स्वरूप का चिन्तन किया जाता है । हरिवंशपुराण 56.42-43