देशसत्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> दस प्रकार के सत्यों में एक सत्य । इस सत्य में गांव और नगर की रीति, राजा की नीति तथा गण और आश्रमों का उपदेश करने वाला वचन समाहित होता है । हरिवंशपुराण 10.105</p> | == सिद्धांतकोष से == | ||
देखें [[ सत्य#1 | सत्य - 1]]। | |||
<noinclude> | |||
[[ देशसंयत | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ देशसन्धि | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: द]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<p> दस प्रकार के सत्यों में एक सत्य । इस सत्य में गांव और नगर की रीति, राजा की नीति तथा गण और आश्रमों का उपदेश करने वाला वचन समाहित होता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.105 </span></p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ देशसंयत | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ देशसन्धि | अगला पृष्ठ ]] | [[ देशसन्धि | अगला पृष्ठ ]] |
Revision as of 21:42, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == देखें सत्य - 1।
पुराणकोष से
दस प्रकार के सत्यों में एक सत्य । इस सत्य में गांव और नगर की रीति, राजा की नीति तथा गण और आश्रमों का उपदेश करने वाला वचन समाहित होता है । हरिवंशपुराण 10.105