धिक्: Difference between revisions
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<p> आरम्भिक दण्ड-व्यवस्था का तीसरा भेद । धिक्कार है, आरम्भ में आदि के पाँच कुलकरों ने केवल ‘‘हाँ’’ इस दण्ड की व्यवस्था की थी, इनके आगे पाँच कुलकरों ने ‘‘हाँ’’ और ‘‘मा’’ दो प्रकार के दण्ड रखे थे, किन्तु अन्तिम पाँच कुलकरों को उक्त द्विविध | <p> आरम्भिक दण्ड-व्यवस्था का तीसरा भेद । धिक्कार है, आरम्भ में आदि के पाँच कुलकरों ने केवल ‘‘हाँ’’ इस दण्ड की व्यवस्था की थी, इनके आगे पाँच कुलकरों ने ‘‘हाँ’’ और ‘‘मा’’ दो प्रकार के दण्ड रखे थे, किन्तु अन्तिम पाँच कुलकरों को उक्त द्विविध दण्ड व्यवस्था में धिक् को भी संयोजित करना पड़ा था । अब अपराधियों से कहा जाता था कि खेद हैं, अब ऐसा नहीं करना और तुम्हें धिक्कार है जो रोकने पर भी अपराध करते हो । <span class="GRef"> महापुराण 3. 214-215 </span></p> | ||
Revision as of 21:42, 5 July 2020
आरम्भिक दण्ड-व्यवस्था का तीसरा भेद । धिक्कार है, आरम्भ में आदि के पाँच कुलकरों ने केवल ‘‘हाँ’’ इस दण्ड की व्यवस्था की थी, इनके आगे पाँच कुलकरों ने ‘‘हाँ’’ और ‘‘मा’’ दो प्रकार के दण्ड रखे थे, किन्तु अन्तिम पाँच कुलकरों को उक्त द्विविध दण्ड व्यवस्था में धिक् को भी संयोजित करना पड़ा था । अब अपराधियों से कहा जाता था कि खेद हैं, अब ऐसा नहीं करना और तुम्हें धिक्कार है जो रोकने पर भी अपराध करते हो । महापुराण 3. 214-215