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<p id="1"> (1) विजयार्ध पर्वत, पर स्थित सिद्धायतनों (जिनमन्दिरों) की रक्षिका एक देवी । हरिवंशपुराण 5.363</p> | <p id="1"> (1) विजयार्ध पर्वत, पर स्थित सिद्धायतनों (जिनमन्दिरों) की रक्षिका एक देवी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.363 </span></p> | ||
<p id="2">(2) द्रव्येन्द्रिय का एक रूप । इसका दूसरा रूप उपकरण है । हरिवंशपुराण 18.85</p> | <p id="2">(2) द्रव्येन्द्रिय का एक रूप । इसका दूसरा रूप उपकरण है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18.85 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक आर्यिका । अरिंजयपुर के राजा अरिंजय और उसकी रानी अजितसेना की पुत्री प्रीतिमती ने उसके पास दीक्षा ली थी । हरिवंशपुराण 34.31</p> | <p id="3">(3) एक आर्यिका । अरिंजयपुर के राजा अरिंजय और उसकी रानी अजितसेना की पुत्री प्रीतिमती ने उसके पास दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.31 </span></p> | ||
<p id="4">(4) तीर्थंकर | <p id="4">(4) तीर्थंकर पद्मप्रभ की शिविका । <span class="GRef"> महापुराण 52.51 </span></p> | ||
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Revision as of 21:43, 5 July 2020
(1) विजयार्ध पर्वत, पर स्थित सिद्धायतनों (जिनमन्दिरों) की रक्षिका एक देवी । हरिवंशपुराण 5.363
(2) द्रव्येन्द्रिय का एक रूप । इसका दूसरा रूप उपकरण है । हरिवंशपुराण 18.85
(3) एक आर्यिका । अरिंजयपुर के राजा अरिंजय और उसकी रानी अजितसेना की पुत्री प्रीतिमती ने उसके पास दीक्षा ली थी । हरिवंशपुराण 34.31
(4) तीर्थंकर पद्मप्रभ की शिविका । महापुराण 52.51