प्रशांतिक्रिया: Difference between revisions
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<p>गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में इक्कीसवीं तथा दीक्षान्वय की अड़तालीस क्रियाओं में सोलहवीं क्रिया । इसमें विषयों से अनासक्त होकर अपने पुत्र को गृहस्थभार देने के पश्चात् नित्य स्वाध्याय तथा विविध उपवास आदि करते हुए शान्ति का मार्ग अपनाया जाता है । महापुराण 38.55-65, 148-149, 39.75</p> | <p>गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में इक्कीसवीं तथा दीक्षान्वय की अड़तालीस क्रियाओं में सोलहवीं क्रिया । इसमें विषयों से अनासक्त होकर अपने पुत्र को गृहस्थभार देने के पश्चात् नित्य स्वाध्याय तथा विविध उपवास आदि करते हुए शान्ति का मार्ग अपनाया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 38.55-65, 148-149, 39.75 </span></p> | ||
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Revision as of 21:44, 5 July 2020
गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में इक्कीसवीं तथा दीक्षान्वय की अड़तालीस क्रियाओं में सोलहवीं क्रिया । इसमें विषयों से अनासक्त होकर अपने पुत्र को गृहस्थभार देने के पश्चात् नित्य स्वाध्याय तथा विविध उपवास आदि करते हुए शान्ति का मार्ग अपनाया जाता है । महापुराण 38.55-65, 148-149, 39.75