प्रादोषिकी-क्रिया: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> एक आध्यात्मिक क्रिया । यह साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं के अन्तर्गत क्रोध के आवेश से उत्पन्न होने वाली एक क्रिया है । हरिवंशपुराण 58.66</p> | <p> एक आध्यात्मिक क्रिया । यह साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं के अन्तर्गत क्रोध के आवेश से उत्पन्न होने वाली एक क्रिया है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.66 </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ प्रादोषिकी क्रिया | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ प्राद्योतिष | अगला पृष्ठ ]] | [[ प्राद्योतिष | अगला पृष्ठ ]] |
Revision as of 21:44, 5 July 2020
एक आध्यात्मिक क्रिया । यह साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं के अन्तर्गत क्रोध के आवेश से उत्पन्न होने वाली एक क्रिया है । हरिवंशपुराण 58.66