माल्यवान: Difference between revisions
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<p id="1">(1) जरासन्ध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.37</p> | <p id="1">(1) जरासन्ध का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.37 </span></p> | ||
<p id="2">(2) यदुवंशी राजा अन्घकवृष्णि का पौत्र और हिमवान् का पुत्र । यह तीर्थंकर नेमिनाथ का चचेरा भाई था । हरिवंशपुराण 48.47</p> | <p id="2">(2) यदुवंशी राजा अन्घकवृष्णि का पौत्र और हिमवान् का पुत्र । यह तीर्थंकर नेमिनाथ का चचेरा भाई था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.47 </span></p> | ||
<p id="3">(3) मानुषोत्तर पर्वत के भीतर विद्यमान सोलह सरोवरों मै सोलहवाँ सरोवर । यह नील पर्वत से साढ़े पाँच सौ योजन दूर नदी के मध्य में है । महापुराण 63. 197-199, हरिवंशपुराण 5.194</p> | <p id="3">(3) मानुषोत्तर पर्वत के भीतर विद्यमान सोलह सरोवरों मै सोलहवाँ सरोवर । यह नील पर्वत से साढ़े पाँच सौ योजन दूर नदी के मध्य में है । <span class="GRef"> महापुराण 63. 197-199, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.194 </span></p> | ||
<p id="4">(4) अनादि निधन, वैडूर्यमणिमय एक वक्षार पर्वत । यह मेरु की पूर्वोत्तर दिशा में स्थित है । इस पर्वत के नौ कूट हैं । उनके नाम हैं― सिद्धकूट, मात्यवत्कूट, सागरकूट, रजतकूट, पूर्णभद्रकूट, सीताकूट और हरिसहकूट महापुराण 63. 204, हरिवंशपुराण 5.211, 219-220</p> | <p id="4">(4) अनादि निधन, वैडूर्यमणिमय एक वक्षार पर्वत । यह मेरु की पूर्वोत्तर दिशा में स्थित है । इस पर्वत के नौ कूट हैं । उनके नाम हैं― सिद्धकूट, मात्यवत्कूट, सागरकूट, रजतकूट, पूर्णभद्रकूट, सीताकूट और हरिसहकूट <span class="GRef"> महापुराण 63. 204, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.211, 219-220 </span></p> | ||
<p id="5">(5) अलंकारपुर के राजा सुकेश और रानी इन्द्राणी का तीसरा पुत्र, माली और सुमाली का अनुज इसका विवाह कनकाभनगर के राजा कनक और रानी कनकश्री की पुत्री कनकावली से हुआ था । इसकी एक हजार से कुछ अधिक | <p id="5">(5) अलंकारपुर के राजा सुकेश और रानी इन्द्राणी का तीसरा पुत्र, माली और सुमाली का अनुज इसका विवाह कनकाभनगर के राजा कनक और रानी कनकश्री की पुत्री कनकावली से हुआ था । इसकी एक हजार से कुछ अधिक रानियां थीं । श्रीमाली इसका पुत्र था यह रावण का सामन्त था । रावण के वध से दु:खी होने पर इसे विभीषण ने सान्त्वना दी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.530-531, 537-568, 12.212, 80.32-33 </span></p> | ||
<p id="6">(6) एक ह्रद । इस ह्रद के निवासी एक देव का नाम भी माल्यवान् ही था । महापुराण 63. 201</p> | <p id="6">(6) एक ह्रद । इस ह्रद के निवासी एक देव का नाम भी माल्यवान् ही था । <span class="GRef"> महापुराण 63. 201 </span></p> | ||
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Revision as of 21:45, 5 July 2020
(1) जरासन्ध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.37
(2) यदुवंशी राजा अन्घकवृष्णि का पौत्र और हिमवान् का पुत्र । यह तीर्थंकर नेमिनाथ का चचेरा भाई था । हरिवंशपुराण 48.47
(3) मानुषोत्तर पर्वत के भीतर विद्यमान सोलह सरोवरों मै सोलहवाँ सरोवर । यह नील पर्वत से साढ़े पाँच सौ योजन दूर नदी के मध्य में है । महापुराण 63. 197-199, हरिवंशपुराण 5.194
(4) अनादि निधन, वैडूर्यमणिमय एक वक्षार पर्वत । यह मेरु की पूर्वोत्तर दिशा में स्थित है । इस पर्वत के नौ कूट हैं । उनके नाम हैं― सिद्धकूट, मात्यवत्कूट, सागरकूट, रजतकूट, पूर्णभद्रकूट, सीताकूट और हरिसहकूट महापुराण 63. 204, हरिवंशपुराण 5.211, 219-220
(5) अलंकारपुर के राजा सुकेश और रानी इन्द्राणी का तीसरा पुत्र, माली और सुमाली का अनुज इसका विवाह कनकाभनगर के राजा कनक और रानी कनकश्री की पुत्री कनकावली से हुआ था । इसकी एक हजार से कुछ अधिक रानियां थीं । श्रीमाली इसका पुत्र था यह रावण का सामन्त था । रावण के वध से दु:खी होने पर इसे विभीषण ने सान्त्वना दी थी । पद्मपुराण 6.530-531, 537-568, 12.212, 80.32-33
(6) एक ह्रद । इस ह्रद के निवासी एक देव का नाम भी माल्यवान् ही था । महापुराण 63. 201