मेषकेतन: Difference between revisions
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<p> एक देव । इसने सीता की अग्नि परीक्षा के समय सीता के ऊपर आये उपसर्ग को दूर करने के लिए इन्द्र से कहा था किन्तु इन्द्र ने सकलभूषण मुनि की वन्दना की शीघ्रता के कारण इसे ही सीता की सहायता करने की आज्ञा दी थी । इसने भी अग्निकुण्ड को जलकुण्ड बनाकर और सीता को सिंहासन पर विराजमान दर्शाकर सीता के शील की रक्षा की थी । पद्मपुराण 104.123-126, 105.29, 48-50</p> | <p> एक देव । इसने सीता की अग्नि परीक्षा के समय सीता के ऊपर आये उपसर्ग को दूर करने के लिए इन्द्र से कहा था किन्तु इन्द्र ने सकलभूषण मुनि की वन्दना की शीघ्रता के कारण इसे ही सीता की सहायता करने की आज्ञा दी थी । इसने भी अग्निकुण्ड को जलकुण्ड बनाकर और सीता को सिंहासन पर विराजमान दर्शाकर सीता के शील की रक्षा की थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 104.123-126, 105.29, 48-50 </span></p> | ||
Revision as of 21:46, 5 July 2020
एक देव । इसने सीता की अग्नि परीक्षा के समय सीता के ऊपर आये उपसर्ग को दूर करने के लिए इन्द्र से कहा था किन्तु इन्द्र ने सकलभूषण मुनि की वन्दना की शीघ्रता के कारण इसे ही सीता की सहायता करने की आज्ञा दी थी । इसने भी अग्निकुण्ड को जलकुण्ड बनाकर और सीता को सिंहासन पर विराजमान दर्शाकर सीता के शील की रक्षा की थी । पद्मपुराण 104.123-126, 105.29, 48-50