लक्ष्मीमती: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1"> (1) हस्तिनापुर के राजा सोमप्रभ की रानी । यह जयकुमार की जननी थी । महापुराण 43. 78-79, हरिवंशपुराण 9.179</p> | <p id="1" class="HindiText"> (1) हस्तिनापुर के राजा सोमप्रभ की रानी । यह जयकुमार की जननी थी । महापुराण 43. 78-79, [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_9#179|हरिवंशपुराण - 9.179]]</p> | ||
<p id="2">(2) हस्तिनापुर के चक्रवर्ती महापद्म की रानी । चक्रवर्ती ने इसी रानी के ज्येष्ठ पुत्र पद्म को राज्य देकर छोटे पुत्र विष्णुकुमार के साथ दीक्षा ली थी । हरिवंशपुराण 20. 12-14</p> | <p id="2" class="HindiText">(2) हस्तिनापुर के चक्रवर्ती महापद्म की रानी । चक्रवर्ती ने इसी रानी के ज्येष्ठ पुत्र पद्म को राज्य देकर छोटे पुत्र विष्णुकुमार के साथ दीक्षा ली थी । [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_20#12|हरिवंशपुराण - 20.12-14]]</p> | ||
<p id="3">(3) जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में मगधदेश के लक्ष्मीग्रामवासी ब्राह्मण सोमदेव की स्त्री । मुनि की निन्दा के फलस्वरूप यह मुनिनिन्दा के सातवें दिन हो उदुम्बर कुष्ठ से पीड़ित हो गयी थी । शरीर से दुर्गन्ध आने लगी थी । अनेक पर्यायों मे भटकने के पश्चात् यही कृष्ण की पटरानी रुक्मिणी हुई । इसका अपर नाम लक्ष्मीमती था । महापुराण 71. 317-341, हरिवंशपुराण 60.26-31</p> | <p id="3" class="HindiText">(3) जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में मगधदेश के लक्ष्मीग्रामवासी ब्राह्मण सोमदेव की स्त्री । मुनि की निन्दा के फलस्वरूप यह मुनिनिन्दा के सातवें दिन हो उदुम्बर कुष्ठ से पीड़ित हो गयी थी । शरीर से दुर्गन्ध आने लगी थी । अनेक पर्यायों मे भटकने के पश्चात् यही कृष्ण की पटरानी रुक्मिणी हुई । इसका अपर नाम लक्ष्मीमती था । महापुराण 71. 317-341, [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#26|हरिवंशपुराण - 60.26-31]]</p> | ||
<p id="4">(4) पाण्डव-युधिष्ठिर की रानी । इसका अपर नाम लक्ष्मीमति था । हरिवंशपुराण 47.18, पांडवपुराण 16.62</p> | <p id="4" class="HindiText">(4) पाण्डव-युधिष्ठिर की रानी । इसका अपर नाम लक्ष्मीमति था । [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_47#18|हरिवंशपुराण - 47.18]], पांडवपुराण 16.62</p> | ||
<p id="5">(5) रुचकगिरि की दक्षिण दिशा में स्थित रुचककूट की रहने वाली एक देवी । हरिवंशपुराण 5.701 देखें [[ रुचकवर ]]</p> | <p id="5" class="HindiText">(5) रुचकगिरि की दक्षिण दिशा में स्थित रुचककूट की रहने वाली एक देवी । [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#701|हरिवंशपुराण - 5.701]] देखें [[ रुचकवर ]]</p> | ||
<p id="6">(6) जम्बूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में रत्नसंचयनगर के राजा क्षेमंकर के पुत्र वज्रायुध की रानी । यह सहस्रायुध की जननी थी । महापुराण 63. 37-39, 44-45</p> | <p id="6" class="HindiText">(6) जम्बूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में रत्नसंचयनगर के राजा क्षेमंकर के पुत्र वज्रायुध की रानी । यह सहस्रायुध की जननी थी । महापुराण 63. 37-39, 44-45</p> | ||
<p id="7">(7) भरतक्षेत्र में चक्रपुर नगर के राजा वरसेन की रानी । यह नारायण पुण्डरीक की जननी थी । महापुराण 65.174-177</p> | <p id="7" class="HindiText">(7) भरतक्षेत्र में चक्रपुर नगर के राजा वरसेन की रानी । यह नारायण पुण्डरीक की जननी थी । महापुराण 65.174-177</p> | ||
<p id="8">(8) विदेहक्षेत्र में पुण्डरीकिणी नगरी के राजा वज्रदन्त की रानी । श्रीमती इसी की पुत्री थी । महापुराण 6.58-60</p> | <p id="8" class="HindiText">(8) विदेहक्षेत्र में पुण्डरीकिणी नगरी के राजा वज्रदन्त की रानी । श्रीमती इसी की पुत्री थी । महापुराण 6.58-60</p> | ||
<p id="6">(6) वाराणसी नगरी के राजा अकम्पन और रानी सुप्रभादेवी की दूसरी पुत्री । इसका अपर नाम अक्षमाला था जो अर्ककीर्ति को दी गयी थी । महापुराण 43. 124, 127, 131, 136, 45.21, 29</p> | <p id="6" class="HindiText">(6) वाराणसी नगरी के राजा अकम्पन और रानी सुप्रभादेवी की दूसरी पुत्री । इसका अपर नाम अक्षमाला था जो अर्ककीर्ति को दी गयी थी । महापुराण 43. 124, 127, 131, 136, 45.21, 29</p> | ||
Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
(1) हस्तिनापुर के राजा सोमप्रभ की रानी । यह जयकुमार की जननी थी । महापुराण 43. 78-79, हरिवंशपुराण - 9.179
(2) हस्तिनापुर के चक्रवर्ती महापद्म की रानी । चक्रवर्ती ने इसी रानी के ज्येष्ठ पुत्र पद्म को राज्य देकर छोटे पुत्र विष्णुकुमार के साथ दीक्षा ली थी । हरिवंशपुराण - 20.12-14
(3) जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में मगधदेश के लक्ष्मीग्रामवासी ब्राह्मण सोमदेव की स्त्री । मुनि की निन्दा के फलस्वरूप यह मुनिनिन्दा के सातवें दिन हो उदुम्बर कुष्ठ से पीड़ित हो गयी थी । शरीर से दुर्गन्ध आने लगी थी । अनेक पर्यायों मे भटकने के पश्चात् यही कृष्ण की पटरानी रुक्मिणी हुई । इसका अपर नाम लक्ष्मीमती था । महापुराण 71. 317-341, हरिवंशपुराण - 60.26-31
(4) पाण्डव-युधिष्ठिर की रानी । इसका अपर नाम लक्ष्मीमति था । हरिवंशपुराण - 47.18, पांडवपुराण 16.62
(5) रुचकगिरि की दक्षिण दिशा में स्थित रुचककूट की रहने वाली एक देवी । हरिवंशपुराण - 5.701 देखें रुचकवर
(6) जम्बूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में रत्नसंचयनगर के राजा क्षेमंकर के पुत्र वज्रायुध की रानी । यह सहस्रायुध की जननी थी । महापुराण 63. 37-39, 44-45
(7) भरतक्षेत्र में चक्रपुर नगर के राजा वरसेन की रानी । यह नारायण पुण्डरीक की जननी थी । महापुराण 65.174-177
(8) विदेहक्षेत्र में पुण्डरीकिणी नगरी के राजा वज्रदन्त की रानी । श्रीमती इसी की पुत्री थी । महापुराण 6.58-60
(6) वाराणसी नगरी के राजा अकम्पन और रानी सुप्रभादेवी की दूसरी पुत्री । इसका अपर नाम अक्षमाला था जो अर्ककीर्ति को दी गयी थी । महापुराण 43. 124, 127, 131, 136, 45.21, 29