लोहिताक्षमय: Difference between revisions
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
सुमेरु पर्वत की छ: परिधियों में प्रथम परिधि । इसे पृथिवीकाय रूप कहा है । इसका विस्तार सोलह हजार पांच सौ योजन है । हरिवंशपुराण 5.305-306