वास्तुक्षेत्र-प्रामाणातिक्रम: Difference between revisions
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<p> परिग्रह-परिमाणव्रत का दूसरा अतीचार । यह गृह तथा क्षेत्र (खेत) के किये हुए प्रमाण का उल्लंघन करने से उत्पन्न होता है । हरिवंशपुराण 58. 176</p> | <p> परिग्रह-परिमाणव्रत का दूसरा अतीचार । यह गृह तथा क्षेत्र (खेत) के किये हुए प्रमाण का उल्लंघन करने से उत्पन्न होता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58. 176 </span></p> | ||
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Revision as of 21:47, 5 July 2020
परिग्रह-परिमाणव्रत का दूसरा अतीचार । यह गृह तथा क्षेत्र (खेत) के किये हुए प्रमाण का उल्लंघन करने से उत्पन्न होता है । हरिवंशपुराण 58. 176