विजयभद्र: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) राजा त्रिपृष्ठ और रानी स्वयप्रभा का दूसरा पुत्र । त्रिपृष्ठ के भाई विजय बलभद्र ने इसे युवराज बनाया था । महापुराण 62.153, 166, पांडवपुराण 4.46 देखें [[ त्रिपृष्ठ ]]</p> | <p id="1"> (1) राजा त्रिपृष्ठ और रानी स्वयप्रभा का दूसरा पुत्र । त्रिपृष्ठ के भाई विजय बलभद्र ने इसे युवराज बनाया था । <span class="GRef"> महापुराण 62.153, 166, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.46 </span>देखें [[ त्रिपृष्ठ ]]</p> | ||
<p id="2">(2) जम्बूद्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में | <p id="2">(2) जम्बूद्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में वत्सकावती देश की प्रभाकरी नगरी के राजा नन्दन और रानी जयसेना का पुत्र । इसने पिहितास्रव गुरु से चार हजार राजाओं के साथ संयम धारण किया और तप करते हुए शरीर का त्याग करके यह स्वर्ग के चक्रक नामक विमान में सात सागर की आयु का धारी देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 62.75-78 </span></p> | ||
Revision as of 21:47, 5 July 2020
(1) राजा त्रिपृष्ठ और रानी स्वयप्रभा का दूसरा पुत्र । त्रिपृष्ठ के भाई विजय बलभद्र ने इसे युवराज बनाया था । महापुराण 62.153, 166, पांडवपुराण 4.46 देखें त्रिपृष्ठ
(2) जम्बूद्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में वत्सकावती देश की प्रभाकरी नगरी के राजा नन्दन और रानी जयसेना का पुत्र । इसने पिहितास्रव गुरु से चार हजार राजाओं के साथ संयम धारण किया और तप करते हुए शरीर का त्याग करके यह स्वर्ग के चक्रक नामक विमान में सात सागर की आयु का धारी देव हुआ । महापुराण 62.75-78