व्यवहारचारित्र: Difference between revisions
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हिंसा आदि पाँचों पापों का कृत कारित और अनुमोदना से तीनों योगों की शुद्धिपूर्वक तीन गुप्ति और पंच समिति के परिपालन के साथ सदा के लिए त्याग करना व्यवहारचारित्र कहलाता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 18.18-19