श्रुतधर: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) एक मुनि । इन्होंने अपने तीन निर्ग्रन्थ शिष्यों को अष्टांग निमित्तज्ञान का अध्ययन कराया था । इनके इन्हीं शिष्यों ने वसु राजा और पर्वत को नरकगामी तथा नारद को स्वर्ग में देव होना बताया था । महापुराण 67.262-271</p> | <p id="1"> (1) एक मुनि । इन्होंने अपने तीन निर्ग्रन्थ शिष्यों को अष्टांग निमित्तज्ञान का अध्ययन कराया था । इनके इन्हीं शिष्यों ने वसु राजा और पर्वत को नरकगामी तथा नारद को स्वर्ग में देव होना बताया था । <span class="GRef"> महापुराण 67.262-271 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक राजा । इसने भरत के साथ दीक्षा ले ली थी । पद्मपुराण 88.1-2, 5</p> | <p id="2">(2) एक राजा । इसने भरत के साथ दीक्षा ले ली थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 88.1-2, 5 </span></p> | ||
Revision as of 21:48, 5 July 2020
(1) एक मुनि । इन्होंने अपने तीन निर्ग्रन्थ शिष्यों को अष्टांग निमित्तज्ञान का अध्ययन कराया था । इनके इन्हीं शिष्यों ने वसु राजा और पर्वत को नरकगामी तथा नारद को स्वर्ग में देव होना बताया था । महापुराण 67.262-271
(2) एक राजा । इसने भरत के साथ दीक्षा ले ली थी । पद्मपुराण 88.1-2, 5