समुद्रसेन: Difference between revisions
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<p id="2">(2) एक मुनि । गौतम ब्राह्मण आहार के लिए जाते हुए इन्हीं मुनि के पीछे लग गया था । सेठ वैश्रवण के यहाँँ दोनों के आहार हुए । गौतम ने आहार करने के पश्चात् इस मुनि से दीक्षा देने की प्रार्थना की थी । फलस्वरूप इन्हीं मुनिराज ने उसे संयम ग्रहण करा दिया था । आयु के अन्त में ये मुनि मध्यम ग्रैवेयक के सुविशाल नाम के उपरितन विमान में अहमिन्द्र हुए और यह गौतम भी इसी विमान में अहमिन्द्र हुआ । महापुराण 70.160-179 देखें [[ गौतम#2 | गौतम - 2]]</p> | <p id="2">(2) एक मुनि । गौतम ब्राह्मण आहार के लिए जाते हुए इन्हीं मुनि के पीछे लग गया था । सेठ वैश्रवण के यहाँँ दोनों के आहार हुए । गौतम ने आहार करने के पश्चात् इस मुनि से दीक्षा देने की प्रार्थना की थी । फलस्वरूप इन्हीं मुनिराज ने उसे संयम ग्रहण करा दिया था । आयु के अन्त में ये मुनि मध्यम ग्रैवेयक के सुविशाल नाम के उपरितन विमान में अहमिन्द्र हुए और यह गौतम भी इसी विमान में अहमिन्द्र हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 70.160-179 </span>देखें [[ गौतम#2 | गौतम - 2]]</p> | ||
Revision as of 21:48, 5 July 2020
(1) वस्त्वोकसार नगर का एक विद्याधर राजा, जिसकी रानी जयसेना और पुत्री बसन्तसेना थी । महापुराण 63.118-119
(2) एक मुनि । गौतम ब्राह्मण आहार के लिए जाते हुए इन्हीं मुनि के पीछे लग गया था । सेठ वैश्रवण के यहाँँ दोनों के आहार हुए । गौतम ने आहार करने के पश्चात् इस मुनि से दीक्षा देने की प्रार्थना की थी । फलस्वरूप इन्हीं मुनिराज ने उसे संयम ग्रहण करा दिया था । आयु के अन्त में ये मुनि मध्यम ग्रैवेयक के सुविशाल नाम के उपरितन विमान में अहमिन्द्र हुए और यह गौतम भी इसी विमान में अहमिन्द्र हुआ । महापुराण 70.160-179 देखें गौतम - 2