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<p> वर्षधर पर्वतों के कमलों से विभूषित सरोवर । विदेह में ये सोलह है । उनके क्रमश: नाम हैं― | <p> वर्षधर पर्वतों के कमलों से विभूषित सरोवर । विदेह में ये सोलह है । उनके क्रमश: नाम हैं― पद्म, महापद्म, तिगंछ, केसरी, महापुण्डरीक, पुण्डरीक, निषध, देवकुरु, सूर्य, सुलस, विद्युत्प्रभ, नीलवान, उत्तरकुरु, चन्द्र, ऐरावत और माल्यवान् । इनके आदि के छ: सरवरों में श्री, ह्री, धृति, कीर्ति, बुद्धि और लक्ष्मी देवियाँ तथा शेष में नागकुमार देव रहते हैं । आदि के छ: सरोवर छ: महाकुलाचलों के मध्यभाग में पूर्व से पश्चिम लम्बे हैं । इनसे गंगा-सिन्धु आदि महानदियां निकली हैं । पद्म सरोवर से गंगा, सिन्धु से रोहितास्या, महापद्म सरोवर से रोह्या और हरिकान्ता, तिगंछ से हरित् और सीतोदा, केशरी सरोवर से सीता और नरकान्ता, महापुण्डरीक से नारी और रूप्यकूला तथा पुण्डरीक ह्रद से सुवर्णकला, रक्ता और रक्तोदा महानदियां निकली हैं । <span class="GRef"> महापुराण 63.197-201, 5.120-122, 131-135 </span></p> | ||
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Revision as of 21:49, 5 July 2020
वर्षधर पर्वतों के कमलों से विभूषित सरोवर । विदेह में ये सोलह है । उनके क्रमश: नाम हैं― पद्म, महापद्म, तिगंछ, केसरी, महापुण्डरीक, पुण्डरीक, निषध, देवकुरु, सूर्य, सुलस, विद्युत्प्रभ, नीलवान, उत्तरकुरु, चन्द्र, ऐरावत और माल्यवान् । इनके आदि के छ: सरवरों में श्री, ह्री, धृति, कीर्ति, बुद्धि और लक्ष्मी देवियाँ तथा शेष में नागकुमार देव रहते हैं । आदि के छ: सरोवर छ: महाकुलाचलों के मध्यभाग में पूर्व से पश्चिम लम्बे हैं । इनसे गंगा-सिन्धु आदि महानदियां निकली हैं । पद्म सरोवर से गंगा, सिन्धु से रोहितास्या, महापद्म सरोवर से रोह्या और हरिकान्ता, तिगंछ से हरित् और सीतोदा, केशरी सरोवर से सीता और नरकान्ता, महापुण्डरीक से नारी और रूप्यकूला तथा पुण्डरीक ह्रद से सुवर्णकला, रक्ता और रक्तोदा महानदियां निकली हैं । महापुराण 63.197-201, 5.120-122, 131-135